Wednesday 26 May 2021

अंधे व्यक्ति और हाथी

अंधे व्यक्ति और हाथी

एक समय की बात है, एक गांव में 6 अंधे व्यक्ति रहते थे। वह बड़ी खुशी के साथ आपस मे रहते थे। एक बार उनके गांव में एक हाथी आया। जब उनको इस बात की जानकारी मिली, तो वो भी उस हाथी को देखने गये। लेकिन अंधे होने के कारण उन्होंने सोचा हम भले ही उस हाथी को न देख पाए, लेकिन छूकर ज़रूर महसूस करेंगे कि हाथी कैसा होता है।

वहां पहुंच कर उन सभी ने हाथी को छूना शुरू किया। हाथी को छूकर एक अंधा व्यक्ति बोला, हाथी एक खंभे की माफिक होता है, मै अब अच्छे से समझ गया हूं, क्योंकि उसने हाथी के पैरों को महसूस किया था।

तभी दूसरा व्यक्ति हाथी की पुंछ पकड़ कर बोला “अरे नहीं, हाथी तो रस्सी की तरह होता है।” तभी तीसरा व्यक्ति भी बोल पड़ा “अरे नही, मैं बताता हूँ, यह तो पेड़ के तने की तरह होता है”

“तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी तो एक बड़े सूपे की तरह होता है”, चौथे व्यक्ति ने कान को छूते हुए सभी को समझाया।

तभी अचानक पांचवें व्यक्ति ने हाथी के पेट पर हाथ रखते हुए सभी को बताया “अरे नहीं-नहीं , यह तो एक दीवार की तरह होता है।

“ऐसा नहीं है, हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है”, छठे व्यक्ति ने अपनी बात रखी। सभी के अलग अलग मत होने के कारण उन सभी में बहस होने लगी, और खुद को सही साबित करने में लग गए। उनकी बहस तेज होती गयी और ऐसा लगने लगा मानो वो आपस में लड़ ही पड़ेंगे।

तभी वहां से एक बुद्धिमान व्यक्ति गुज़र रहा था। उनकी बहस को देखकर, वह वहां रुका और उनसे पूछा, “क्या बात है, तुम सब आपस में झगड़ा क्यों कर रहे हो?” उन्होंने बहस का कारण बताते हुए, उस बुद्धिमान व्यक्ति को बताया कि हम यह नहीं तय कर पा रहे हैं, कि आखिर हाथी दिखता कैसा है”, उन्होंने ने उत्तर दिया।

फिर एक एक करके उन्होंने अपनी बात उस व्यक्ति को समझायी। बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी की बात शांति से सुनी और बोला, “तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो, तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है, क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग-अलग भागों को छुआ एवं महसूस किया।

लेकिन यदि देखा जाए, तो तुम लोग अपनी अपनी जगह ठीक हो, क्योंकि जो कुछ भी तुम सबने बताया, वो सभी बाते हाथी के वर्णन के लिए सही बैठती हैं”।

अब तक सभी को सारी बातें समझ आ गयी थी। उसके बाद उस बुद्धिमान व्यक्ति ने उन्हें समझाया यदि आप सब अपने जो जो महसूस किया, उसके अलावा भी यदि आगे कुछ देखते तो आप को हाथी असल मे कैसा होता है समझ आ जाता।

कहानी से शिक्षा

दोस्तों, अधिकतर ऐसा होता है, कि हम सच्चाई जाने बिना अपनी बात को लेकर अड़ जाते हैं, कि हम ही सही हैं, और बाकी सब गलत है। लेकिन कई बार ऐसा होता है, कि हम केवल सिक्के का एक ही पहलू देख रहे होते है, हमे जरूरत है, सिक्के के दोनो पहलुओं को देखकर समझने की, इसलिए हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए पर दूसरों की बात भी सब्र से सुननी चाहिए, और कभी भी बेकार की बहस में नहीं पड़ना चाहिए। 

वेद पुराणों में भी कहा गया है कि एक सत्य को कई तरीके से बताया जा सकता है, इसलिए यदि जब अगली बार आप ऐसी किसी बहस में पड़ें तो याद कर लीजिएगा, कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके हाथ में सिर्फ कान हो, और बाकी हिस्से किसी और के पास हैं।